Aligarh News: बेटे के 60% अंक आने पर पूछा "पापा, आप नाराज़ तो नहीं " BSA पिता ने दिया उम्मीद से भरा जवाब
अलीगढ़: जीवन में किसी भी मोड़ से एक नई शुरुआत की जा सकती है। शिक्षा का उद्देश्य केवल अच्छे अंक लाना नहीं, बल्कि ज्ञान, समझ और कौशल का विकास करना होता है।

अलीगढ़: जीवन में किसी भी मोड़ से एक नई शुरुआत की जा सकती है। शिक्षा का उद्देश्य केवल अच्छे अंक लाना नहीं, बल्कि ज्ञान, समझ और कौशल का विकास करना होता है। आमतौर पर बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आने पर टॉपर्स की चर्चा होती है, लेकिन इस बार अलीगढ़ के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) राकेश सिंह की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने लोगों को गहराई से प्रभावित किया है। उन्होंने अपने बेटे के 12वीं कक्षा में 60 प्रतिशत अंक आने पर जो विचार साझा किए, वे अब कई छात्रों और अभिभावकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं।
जब बेटे ने चिंता जताई, पिता ने बढ़ाया हौसला
रिजल्ट आने के बाद राकेश सिंह के बेटे ऋषि ने उनसे झिझकते हुए पूछा, “क्या आप नाराज़ हैं?” इस पर पिता ने जवाब दिया, “बिल्कुल नहीं बेटा, बल्कि मैं आज बेहद खुश हूं। इतनी खुशी तो मुझे अपने सेलेक्शन के दिन भी नहीं हुई थी।” उन्होंने बेटे को समझाते हुए बताया कि जब उन्होंने स्नातक किया था, तब उनके केवल 52 प्रतिशत अंक थे। हाई स्कूल में उन्हें 60% और इंटरमीडिएट में 75% अंक प्राप्त हुए थे। इसके बावजूद उन्होंने कड़ी मेहनत से 2000 में लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया।
संघर्ष से सीखा, आत्मविश्वास से जीता
अपनी पोस्ट में राकेश सिंह ने बचपन के संघर्षों को याद करते हुए लिखा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में उन्हें कई सवालों के उत्तर नहीं पता थे, लेकिन फिर भी उन्होंने एडमिशन पाया और बाद में इतिहास विषय में 80% अंक प्राप्त किए। यह उनके आत्मविश्वास और न हार मानने वाली सोच का नतीजा था।
अभिभावकों के लिए खास संदेश
राकेश सिंह ने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों को सिर्फ अंकों के आधार पर न आंकें। उन्होंने कहा कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है, जरूरत है बस सही मार्गदर्शन और समर्थन की। उन्होंने यह भी लिखा कि बच्चों पर अपने अधूरे सपने न थोपें, बल्कि उन्हें अपने रास्ते खुद तय करने दें।
धैर्य और समर्थन ही असली पूंजी
राकेश सिंह का मानना है कि जिंदगी सिर्फ ज्ञान की नहीं, बल्कि धैर्य की परीक्षा भी है। बच्चों को जब सही समय पर सही समर्थन मिलता है, तो वे किसी भी ऊंचाई को छू सकते हैं। उन्होंने उन सभी छात्रों को बधाई दी जिन्होंने सफलताएं प्राप्त कीं, और उन बच्चों व उनके परिवारों को भी सराहा जिनका परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा।
अंत में यही संदेश: आत्मविश्वास सबसे बड़ी ताकत है
इस प्रेरणादायक पोस्ट ने साबित कर दिया कि अंक अंतिम सत्य नहीं हैं, बल्कि आत्मविश्वास, मेहनत और परिवार का सहयोग ही असली सफलता की कुंजी है। राकेश सिंह की सोच हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो मानता है कि गिरकर भी उठा जा सकता है और हर असफलता, एक नई शुरुआत का मौका होती है।
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