आजम खान बोले- मायावती की इज्जत करता हूं, बसपा में शामिल होने की अटकलों पर दिया बयान
मायावती की रैली में दिए गए बयान के बाद आजम खान ने कहा कि वह बसपा प्रमुख मायावती की इज्जत और एहतराम करते हैं। बसपा में शामिल होने की अटकलों को किया खारिज और कहा कि वह सपा में ही बने रहेंगे।

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान के बीच हाल ही में दिए गए बयानों ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। मायावती ने 9 अक्टूबर को अपनी रैली में बिना नाम लिए आजम खान पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद अब आजम खान ने बेहद संयमित लहजे में प्रतिक्रिया दी है।
मायावती ने रैली में कहा था कि अगर उन्हें किसी से मिलना होता तो वो “छुप-छुपकर नहीं, खुले आम मिलती हैं।” यह बयान उन अटकलों के बाद आया था जिनमें कहा जा रहा था कि आजम खान या उनके परिवार के सदस्य बसपा से संपर्क में हैं। अब आजम खान ने इस पर कहा कि वह मायावती का “सम्मान और एहतराम” करते हैं और अगर उनकी किसी बात से मायावती को दुख पहुंचा हो तो उन्हें अफसोस है।
आजम खान ने कहा, “मेरे मायावती जी से रिश्ते हमेशा सम्मानजनक रहे हैं। मेरे संबंध कांशीराम जी से भी रहे हैं। वह कई बार मुझसे मिलने आते थे। अगर मेरी किसी बात से उन्हें दुख हुआ हो, तो मुझे खेद है। मैं उनकी इज्जत करता हूं और करूंगा।”
उन्होंने आगे कहा कि “हर मुलाकात का मतलब राजनीति नहीं होता। इंसान सामाजिक या व्यक्तिगत कारणों से भी मिल सकता है। मायावती देश की बड़ी नेता हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं। उन्होंने कोई ऐसी बात नहीं कही जिससे मेरे दिल को ठेस पहुंचे, इसके लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं।”
आजम खान ने यह भी स्पष्ट किया कि वह समाजवादी पार्टी के साथ ही बने रहेंगे। जेल से बाहर आने के बाद चर्चा थी कि वह बसपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने इन अटकलों को नकारते हुए कहा, “मैं साइकिल की सवारी करता था, करता हूं और करता रहूंगा।”
#WATCH | Rampur, Uttar Pradesh: On BSP chief Mayawati, Samajwadi Party leader Azam Khan says, "...We respect her and if she has received any news through the media that has caused distress, I regret it... If I had to meet her, it wouldn't have been just for political reasons. We… pic.twitter.com/hDJfwjEkKV — ANI (@ANI) October 9, 2025
उधर मायावती ने भी अपनी रैली में इन अफवाहों को खारिज करते हुए कहा था कि “जब भी मैं किसी से मिलती हूं, खुले में मिलती हूं, छिपकर नहीं। मेरे पास ऐसी किसी मुलाकात की जानकारी नहीं है।”
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह साफ हो गया है कि मायावती और आजम खान के बीच कोई राजनीतिक समीकरण नहीं बन रहा, बल्कि दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक रुख बनाए रखा है।
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